देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस वर्ष भी छठ पूजा पर प्रदेश मे राजकीय अवकाश घोषित किया है। जिससे उत्तराखंड के पहाड़ी समाज मे सीएम रावत के प्रति रोष पनपने लगा है। विगत कई वर्षों से लगातार प्रदेश सरकार बिहारी पर्व छठ पूजा पर राजकीय अवकाश घोषित कर रही है लेकिन लम्बे समय से उत्तराखंडी 'इगास' पर्व पर भी छुट्टी की मांग कर रहे हैं जिसे कि प्रदेश सरकार अनदेखा कर रही है।
उत्तराखण्ड में अब सबकुछ बदल चुका है, पहले अन्य प्रदेशों के लोगो ने उत्तराखण्ड की नदी, नालों की जमीनों पी कब्जा किया और अब वोट बैंक के लिए अपने तीज त्यौहार को ताक में रख रखा जा रहा है और अपने तीज त्योहारों पर छुटटी देने के बजाय अन्य प्रदेशो के त्योहारों को बढावा दे रहे है। जिससे पहाड के तीज त्योंहरों पर संकट के बादल मंडराने लगे है। उत्तराखण्ड के जनमानस पर अन्य प्रदेश की संस्कृति को थोपा जा रहा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने पूर्व सीएम हरीश रावत की तर्ज पर अपने उत्तराखंडी तीज त्यौहार को भुलाकर दूसरे प्रदेश की तीज़ त्यौहार को जबरन पहाड़ियों पर थोप दिया,बिहारी वोट बैंक के चलते इगास व बग्वाल के बजाय छठ को महत्व दिया जा रहा है। हालांकि इस बार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत छठ पर सीधे छुट्टी न घोषित करते हुए अपने अपर सचिव के माध्यम से जारी करवाया है।