दीपों का पर्व दीपावली के बाद अब लोकआस्था और सूर्य की उपासना का महापर्व छठ 31 अक्टूबर से शुरु हो रहा है। दीपावली की रौनक के बाद अब छठ पूजा की तैयारियां शुरु हो जाएंगी। चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व दो नवंबर तक चलेगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि के सूर्योदय तक छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। खासकर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पष्ठी तिथि को छठी मैया की पूजा होती है। छठ पर्व दीवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है। छठ पूजा में खासकर सूर्य और छठ मैया की पूजा की जाती है। उनकी पूजा से संतान प्राप्ति, उनकी रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। छठ मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है।
इस त्योहार में अनाज को धुलने से लेकर सुखाने तक का काम काफी ध्यान से किया जाता है। इसके बाद फिर से महिलाएं स्नान करती हैं। इस व्रत में महिलाएं एकबार अनाज खाने के बाद दिन में सिर्फ खरना का प्रसाद ले सकती हैं। छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन महिलाएं नहाए खाए के दिन सुखाए गए अनाज को चक्की में पिसवाती हैं। अनाज को मुंह में पट्टी बांधकर पीसा जाता हैए ताकि अनाज की पवित्रता बनी रहे। खरना के दिन गुड़ की खीर बनती है और कच्चे चूल्हे पर रोटियां सेंकी जाती है। पूजा के बाद इस प्रसाद को व्रती महिलाएं भी खाती हैं। इस प्रसाद को ज्यादा से ज्यादा बांटा जाता है।
यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इन क्षेत्रों के लोग देश के विभिन्न जगहों पर रहने वाले लोग जैसे देहरादून, दिल्ली, मुंबई सहित विभिन्न शहरों में भी छठ महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
इंसेट..
ये है छठ पर्व की तिथि-
31 अक्टूबर- नहाय.खाय।
01 नवंबर- खरना।
02 नवंबर- शाम का अर्घ्य एवं 3 नवंबर. सुबह का अर्घ्य।